इस मोहब्बत में ना जाने क्यों इतने क़त्ल होते हैं
सौ में से दो चार लोग ही सफल होते हैं
पर जो सफल होते हैं उनमे अक्ल नहीं होती
इसलिए वो शादी करके खुद जिंदगी से बेदखल होते हैं
शादी तो पवित्र रिश्ता है, तो इतनो का खून क्यों बहाया
दूसरों की चिता पर लेटकर क्यूँ अपना घर बसाया
इसीलिए कहता हूँ शादी करने वाले वक़्त के मारे होते हैं
ज़िन्दगी के असली हीरो तो बस कुंवारे होते हैं
सौ में से दो चार लोग ही सफल होते हैं
पर जो सफल होते हैं उनमे अक्ल नहीं होती
इसलिए वो शादी करके खुद जिंदगी से बेदखल होते हैं
शादी तो पवित्र रिश्ता है, तो इतनो का खून क्यों बहाया
दूसरों की चिता पर लेटकर क्यूँ अपना घर बसाया
इसीलिए कहता हूँ शादी करने वाले वक़्त के मारे होते हैं
ज़िन्दगी के असली हीरो तो बस कुंवारे होते हैं
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