.........बस ऐसे ही
दिल के दरख्तों में है कैफिअत उनकी, क्या बताये क्या है हैसिअत उनकी|
छाये रहते है वो खुमार बनके आँखों में, हर सोच में रहती है नसीहत उनकी||
तारीफ़ करते हैं ये तो है आदत अपनी, पूछ लो जहाँ से हकीक़त उनकी|||
हम तो उनकी दामन में मरने की इल्तेजा रखें, बस एक बार मिल जाये इजाजत उनकी||||
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