Saturday, May 14, 2011

धैर्य

मंजिलो की तरफ कदम सभी बढ़ाते है | न जाने कब किसको रास्ता मिल जाये |
लड़ना पड़ता है हर वक़्त रोशनी के लिए | न जाने कब अँधेरा हमें निगल जाये |
जीत होती नहीं तब तलक आखिरी | जब तलक हार से कुछ भी सीखा न जाये |
वक़्त मरहम है अपने हर दर्द का | तो क्यूँ न मुस्कुरा के दिन ये गुजार दिए जाएँ |

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