चार पन्ने की जिंदगी में हंसी लिखू या गम लिखू
दोनों आते जाते रहते किसको ज्यादा या कम लिखू
चार पन्ने .............
गम को लिखता हूँ तो आँखों में हैं आंसू आते
जब ख़ुशी को लिखना चाहू अच्छे पल वो याद आते
जिंदगी के घाव या फिर वक़्त का मरहम लिखू
चार पन्ने .............
टूटते अरमानो से ही सब्र पैदा होता है
होता है अहसास ख़ुशी का गम में जब कोई रोता है
जीतने की कोशिशे या हार का मातम लिखू
चार पन्ने .............
हर गुजारिश हमसे कहती जीने की कोशिश करो
हर एक पल है खूबसूरत सिर्फ इसमें रंग भरो
रिश्तो का यूँ बिखरना या प्यार का मौसम लिखू
चार पन्ने .............
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