कमाल कर रहे हैं......
देश जल रहा है, आप जेब भर रहे हैं
शर्म नहीं आती है, कमाल कर रहे हैं
नोटों को पकाएंगे, नोटों को ही खायेंगे
क्या दौलत की चिता पर ही लेट कर जायेंगे
पैसे के लिए इंसान से हैवान बन रहे हैं
कमाल कर रहे हैं......
पकडे गए हैं, फिर भी सच बोलते नहीं
राज अपने दिल के खोलते नहीं
जिंदा है मगर फिक्र में हर रोज मर रहे हैं
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