अख़बार
सुबह सुबह हम उठते है और पड़ते है अख़बार | अंतिम पेज पलटते ही कहते है बेकार |
पहले पेज पे होती है दुनिया भर की बकवास | कोई ऐसी न्यूज़ नहीं जो हो थोड़ी खास |
अन्दर के पेजों पर चोरी की भरमार | कोई घर बैठे लुटता ,कोई बीच बाज़ार |
थोडा आगे और बढ़ो तो अफसर, नेता की चाल | कोई घोटाला करता ,कोई है कंगाल |
संपादकीय में देते है कुछ लोग ...अपना ज्ञान| सिर्फ समश्या पैदा करते, नहीं कोई समाधान |
सिनेमा की रंग बिरंगी खबरे बड़ी निराली | किसने किसको थप्पड़ मारा,किसने किसको दी गाली|
खेलकूद के पूरे पन्ने पर राजनीती की बातें | जीत हार से फर्क नहीं , बस पैसे की सौगाते |
इसीलिए मैं सोच रहा हूँ पेपर बंद करवा दूं| रोज़ एक ही समाचार है सोच के काम चला लूं |
humne toh kab ka paper band kara diya..humse padhne se pehle avi use padh jaata tha..
ReplyDeletehahaa...ye sahi hai
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