Saturday, May 14, 2011

हमार लइकवा

हमार लइकवा पढ़ेला दस में, ना माई के बस में ना बाऊ के बस में
रतिया के उठेला जरावेला चिराग,याद करेला गब्बर सिंह के डायलाग
परीक्षा में बैठेला लेके दुनालिया,हम कुछ कहिला ता कहेला तेरा क्या होगा रे कालिया
सिनेमा के पीछे हौए दीवाना,रोज रोज जाला ससुरा कइके बहाना
सिगरेट, बीड़ी खुलेआम पियेला,दारु बिना एक पल ना रहेला
हई हम परेशान कईसे समझाई,कईसे भला वोके रस्ते पे लाइ
फँसल बाड़ी हम येही कशमकश में,हमार लइकवा पड़ेला दस में ना

2 comments:

  1. hum apne bete ko dus mein nahi padhayenge...nau ke baad seedhe gyarah mein...hehehe

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