Saturday, May 14, 2011

यूँ फ़रिश्तों में ना................

यूँ फ़रिश्तों में ना ढूंढों हमको, हम तो इंसा है इंसानों में नजर आयेंगे |
मंदिर-मस्जिद में ना मिलेंगे तुमको, जहाँ लालच है वही मिल जायेंगे ||
यूँ फ़रिश्तों में ना................
जहाँ कही भी दिखे जलता हुआ घर, वही कही पे हँसते हुए दिख जायेंगे |
भूख से बेबस किसी बच्चे से पूछ लेना, वो तुम्हे मेरी असली पहचान बताएँगे ||
यूँ फ़रिश्तों में ना................
जहाँ नफ़रत और दौलत की हवस जलती है, उसी रोशनी में तुमको नजर आएंगे |
जिंदगी लाश में तब्दील जहाँ होती है, कफ़न लाश का चुराते हुए मिल जायेंगे ||
यूँ फ़रिश्तों में ना................

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